नाम – श्रवण
स्थान – जानेवा ईस्ट
जिला – नागौर
ये बात लगभग 8 वर्ष पहले की है,जब उरमूल खेजड़ी हमारे ग्राम जनेवाईस्ट मे पशुओ की देखभाल व पशुपालको की आय कैसे बड़े पर काम करने आये थे| मे अपने ग्राम के पुरुष समूह का हिस्सा था, संस्था के साथियों से जान-पहचान बढ़ने के बाद, संस्था के साथी के जरिये पता लगा की ग्राम मे महिला समूह का निर्माण करना है | जिसके बाद संस्था ग्राम की महिलाओ को दो-दो बकरिया पालने को देंगे और बदले मे जब बकरिया बच्चे देंगी तो आपको 2 बकरिया ही वापस करनी है | वो भी दूसरे ग्राम की महिलाओ को, जो बकरी आपको दी जाएगी वह हमेसा आपकी होगी |
मैंने बिना कुछ सोचे समझे संस्था के साथी को दूसरे दिन फोन लगया और बुलाया की सर आप आ जाओ मैंने अपनी ढाणी मे महिलाओ का समूह तैयार कर लिया है | मेरे घर से मेरी पत्नी भी समूह का हिस्सा थी तो मुझे भी 2 बकरिया मिली और मेने बहुत अच्छे से उनको पालना भी शुरू किया कुछ समय बाद बारिश का मौसम शुरू हो गया था लेकिन मेरे घर की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी की मे बकरियों के लिए पानी से बचाव का इंतजाम कर पता, एक टापरी थी जिसमे पानी जगह-जगह टपकता रहता था| तभी कुछ दिनों के बाद संस्था के साथी मेरे घर विजिट करने आते है | जब वह आकर मेरी टापरी की हालत देखते है तो हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाते है | बारिश का समय था खेत पर काम चल रहा था मे अपनी ढाणी से एक किलोमीटर दूर अपने खेत मे काम कर रहा था तभी मुझे सर का फोन आता है घर जल्दी आ जाओ मे और मेरे सर दिनेश जी आपके घर आये हुए है और आपके जानवरो की ऐसी हालत आप जल्दी घर आओ
मे भागते-भागते अपने घर आता हु मे आकर खड़ा ही होता हु की सर मुझे कहते है देखो जो तुम्हे प्रशिक्षण मे सिखाया था सब बेकार कर दिया तुमने, जो संस्था के तरफ से तुम्हे ट्रेनिंग मे किट मिली थी वो पेंतीस रूपए की थी तुमको वापस करनी होगी| मे डरा हुआ तो पहले से ही था| लेकिन आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैंने धीरी आवाज मे कहा ले लीजिये सर,थोड़ा समय वो मेरे चहरे को देखते और उन्होंने कहा क्या समस्या क्या है ?
इसकी वजह क्या है ?
मैंने सारी घर की स्थिति बताई तभी सर ने कहा इस समस्या का समाधान तुमको ही करना होगा | मैंने कहा सर कुछ पैसे का इंतजाम हो जाये , मैं सब व्यवस्थित कर लूंगा अभी पैसो की वजह से ही हाँथ रुके हुए है| मेरी सारी समस्या और तकलीफ सुनने के बाद दिनेश जी ने कहा मे बोलता हु भगवान जी को वो कुछ मदत कर सकते है,दूसरे दिन भगवान जी का काल आता है मेरे पास श्रवण कहा हो तुम नागौर आ जाओ और बकरी की टापरी के लिए यह से सामान खरीद लो मैं बस पकड़कर नागौर जाता हु वह दुकान से 6 छोटी और 9 बड़ी पत्थर की फरसी,2 20 फिट के लोहे के पाइप एवं टीन खरीदकर घर लेकर आता हु|
दूसरे दिन कारीगर को पकड़ कर बकरी की टापरी का काम शुरू करवा देता हु, 2 दिन की मेहनत के बाद हम काम को पूरा कर लेते है मे तीसरे दिन सर को कॉल करके बुलाता हु सर आप घर आकर उद्धघाटन कर दीजिये मेरी बकरी की टापरी पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो गई है| सर लोग जाडेली से मेरे गाँव आते है और हम उद्धघाटन करते है | सर मेरा काम देख कर मुझे कहते है तुम अच्छा काम कर रहे हो आस-पास के 5 गाँव मे तुम्हे इसी तरह के घर तैयार करवाने है|
उसके बाद श्रवण ने उरमूल झाडेली संस्थान के टीम सदस्य के रूप में संस्था के साथ कार्य करना प्रारंभ की किया| उन्होंने संस्था की उन्नत बकरी पालन की ट्रेनिंग की और फिर फिल्ड में जा कर महिला समूह को ट्रेनिंग देना शुरू किया,इस बिच श्रवण ने 30 से ज्यादा गावो के स्वयं सहायता समूह महिलाओ की ट्रेनिग की,उन्हें इस कार्य में अच्छा ज्ञान हो गया उसी के साथ संस्था की अलग-अलग पशुपालक व पशुपालन प्रशिक्षक ट्रेनिंग हासिल कर एक बेहतर पशुप्रशिक्षक और पशुपालक आज है|
डेजर्ट फेलो
– राकेश यादव
कहानीकार